बहुमत फैसले के दिशा निर्देश

N THE SUPREME COURT OF INDIA CIVIL ORIGINAL JURISDICTION WRIT PETITION (C) NO 319 OF 1994

Narmada Bachao Andolan………………………………..Petitioner

Versus

Union of India & Others………………………………..Respondents

न्यायाधीश बी. एन. किरपाल

निर्देश देते समय एवं याचिका को निपटाते हुए दो शर्तों को ध्यान में रखना होगा। (I) परियोजना शीघ्र से शीघ्र पूरी हो, (II) यह सुनिश्चित किया जाए कि परियोजना को जिन शर्तों पर मंजूरी दी गई है उन्हें पूरा किया जाए, जिसमें पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन का कार्य पूरा करना और सरकार द्वारा बनाई गई योजना के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए सुधार एवं क्षतिपूर्ति कदम उठाना शामिल है, ताकि संविधान के अनुच्छेद 21 के अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सके। इन सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए हम निम्न निर्देश देते हैं:-

1. न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार बाँध का काम जारी रहेगा।

2. चूँकि पुनर्वास उपदल द्वारा बाँध को 90 मीटर तक की मंजूरी दी जा चुकी है अतः इसे तत्काल बनाया जा सकता है। इसके आगे ऊँचाई पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के कार्य के साथ-साथ एवं पुनर्वास उपदल से मंजूरी मिलने के बाद ही बढ़ाई जा सकती है। उपदल आगे की ऊँचाई के बारे में तीन समस्या निवारण प्राधिकरणों (GRA) से सलाह करने के बाद मंजूरी देगा।

3. बाँध की ऊंचाई 90 मीटर से आगे ले जाने के पहले हर स्तर पर भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिव के अधीन बने पर्यावरण उपदल द्वारा परियोजना पर विचार कर पर्यावरणीय मंजूरी देना अनिवार्य होगा।

4. बाँध की ऊँचाई 90 मीटर के आगे जाने की मंजूरी नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (NCA) द्वारा समय-समय पर पुनर्वास एवं पर्यावरण उपदलों द्वारा उपरोक्त मंजूरियाँ दिए जाने पर दी जाएगी।

5. समस्या निवारण प्राधिकरण की रिपोर्ट, विशेषतः म. प्र. की रिपोर्ट बताती है कि परियोजना प्रभावितों के पुनर्वास के लिए भूमि के चयन, उचित भूमि के अर्जन एवं तदोपरान्त आवश्यक कदमों में काफी ढिलाई बरती गई है। हम म. प्र. महाराष्ट्र और गुजरात को निर्देश देते हैं कि न्यायाधिकरण को लागू किया जाए और राज्यों द्वारा घोषित पुनर्वास योजनाओं के अनुसार पुनर्वास किया जाए और इस संदर्भ में राज्यों के द्वारा नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण, पुनर्विचार समिति या समस्या निवारण प्राधिकरण के आदेशों का पालन किया जाए।

6. यद्यपि, पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का काफी हद तक पालन किया गया है. नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण एवं पर्यावरणीय उपसमूह निगरानी जारी रखेगा एवं सुनिश्चित करेगा कि न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा के लिए बल्कि उसको पुनर्स्थापित एवं सुधार करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

7. नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण आज से 4 सप्ताह के अंदर बाँध के निर्माण तथा पुनर्वास के संबंध में कार्य योजना तैयार करेगा। यह कार्य योजना वह समयावधियाँ तय करेगी जो यह सुनिश्चित करेगी कि पुनर्वास का कार्य बाँध की ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ किया जाए (pari passu)। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई इस कार्य योजना का सभी राज्य सरकारों द्वारा पालन किया जाएगा और विवाद या किसी कठिनाई की स्थिति में वह मुद्दा पुनर्विचार समिति के समक्ष लाया जाएगा। फिर भी पुनर्वास के लिए अधिग्रहित की गई भूमि की मात्रा एवं समय सीमा के संबंध में नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा दिए गए आदेश का सभी राज्यों को पालन करना अनिवार्य होगा।

8. नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के सामने किसी मुद्दे पर अनसुलझे विवाद की स्थिति में जब कभी ज़रूरत हो तो पुनर्विचार समिति को मिलना चाहिए। बहरहाल, बाँध के निर्माण एवं पुनर्वास की योजना के क्रियान्वयन की प्रगति पर नजर रखने के लिए कम से कम तीन महीने में पुनर्विचार समिति को अवश्य मिलना चाहिए।
किसी कारणवश यदि न्यायाधिकरण को लागू करने में गंभीर मतभेद आते हैं एवं पुनर्विचार समूह में उसको सुलझाया नहीं जा सकता है तो समिति वह मुद्दा प्रधानमंत्री के समक्ष ला सकती है, जिनका निर्णय उस बारे में अंतिम होगा एवं सभी संबंधित पक्षों के लिए बंधनकारी होगा।

9. समस्या निवारण प्राधिकरण पुनर्वास कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए संबंधित राज्यों को यथोचित निर्देश देने के लिए स्वतंत्र होंगे और उनके निर्देशों को लागू न करने की स्थिति में ये प्राधिकरण यथोचित आदेशों के लिए पुनर्विचार समूहों के समक्ष जाने के लिए स्वतंत्र होंगे।

10. परियोजना जितनी तेजी से हो सके उतनी तेजी से पूरा करने हेतु सभी प्रयास किए जाने चाहिए।

उपरोक्त संदर्भों में यह एवं संबंधित अन्य याचिकाएँ निरस्त की जाती है।

नई दिल्ली
18 अक्टूबर 2000

(ए. एस. आनंद)
भारत के मुख्य न्यायाधीश

(बी. एन. किरपाल)
न्यायाधीश

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