Narmada बचाओ नेत्री मेधा पाटकर का आरोप- नर्मदा का जल नही बचा पीने योग्य

बड़वानी- प्रदेश में नर्मदा नदी या नदियों से रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के सरकार या प्रशासन लाख दावे करें लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि आज भी धडल्ले से रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है और आज भी रेत का अवैध कारोबार जारी है।

नर्मदा (Narmada) बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने इस मामले में प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन की लापरवाही से आज भी रेत का अवैध कारोबार जारी है।

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि रेत के उत्खनन के चलते नर्मदा में पानी की कमी आई है। उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई भले ही बढ़ गई है लेकिन नर्मदा का जल कम हो रहा है

मेधा ने कहा कि बड़े बांधों का रेग्युलेशन और मॉनिटरिंग सही ढंग से नहीं हो रहा है। सीडब्ल्यूसी केंद्रीय जल आयोग के नियम का भी कोई पालन नहीं हो रहा है। जिसके कारण कम पानी में प्रदूषण बढ़ रहा है।

मेधा ने दावा किया कि प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की रिपोर्ट बताती है कि प्रतिदिन जहरीला पानी नर्मदा (Narmada) में शामिल हो रहा है। उन्होंने कहा कि नर्मदा में फैक्ट्री इंड्रस्ट्री सभी का पानी शामिल हो रहा है।

मेधा ने कहा कि जैविक खेती के लिए नर्मदा (Narmada) के पानी से सिंचाई करने वाले किसानों को जैविक खेती का सर्टिफिकेट तक नहीं मिलता। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि नर्मदा (Narmada) का पानी कितना उपयोगी है।

हालांकि इस मामले में कलेक्टर शिवराजसिंह वर्मा से जब बात की तो उन्होंने साफ कर दिया कि मेधा पाटकर क्या कहती हैं वो अलग बात है लेकिन हमारे संज्ञान में जब जब भी अवैध रेत का मामला सामने आया है, कार्यवाही की है और लगातार कर रहे हैं। रही बात नर्मदा के जल का अनुपयोगी होने की, तो ऐसी उनके पास कोई जानकारी नहीं है।

देखिये वीडियो: क्या कह रहे हैं, शिवराज सिंह वर्मा (कलेक्टर)

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